Monday, 13 July 2020

मिथिला , सौराठ सभा और मैथिली ठाकुर

इस कॉन्ट्रोवर्सी की शुरुआत होती है एक व्लोग से । जिसमे मिस मैथिली ठाकुर 'सभा गाछी' ,सौराठ से गुज़र रही होती है और चूंकि वो जगह मिथिला में प्रसिद्ध रहा है (पहले मुझे भी नही पता था) तो उसका ज़िक्र वो अपने व्लोग मे करती है और अपने पिता श्री रमेश ठाकुर से सौराठ सभा के बारे में पूछती है जिसपर उसके पिता कहते है 'यहाँ लड़कों का हाट लगता था ' । फिर मैथिली जी इसको थोड़ा  विस्तृत करते हुए कहती है कि यहां लड़को का बाजार लगता था जिसमे लड़किया आकर लड़को को देखती थी और पसंद करती थी । मेरे हिसाब से उस ज़माने का ऑफलाइन #tinder था शायद । खैर छोड़िये आगे बढ़ते हैं 


कुछ इसी तरह का ज़िक्र बाबा नागार्जुन के रचना में भी किया गया है और भी कई लोग इसपर कुछ इसी तरह की बातें लिख चुके हैं । चूँकि बात प्राचीन काल की है तो सब लोग अपने अपने ढंग से इसका व्याख्यान करेंगे ,क्या होता था exactly शायद ही किसी को पता हो । सब कहीं न कहीं से पढकर या सुनकर अपने हिसाब से अपना आकलन पेश करता है । उस जमाने मे क्या होता था उसको पास्ट में जाकर बदला भी नही जा सकता है । और दूल्हा बेचने वाला बात कह ही दिया किसीने तो वो मैथिल लोंगो को खराब नही लगना चाहिए क्योंकि ये परंपरा आज के दौर में और भी बढ़ चुका है या ये बोल लीजिये की अब चरम पर है इस से बुरा कुछ हो नही सकता ।

पहले तो ये नकद औऱ दस भर सोन तक सीमित था लेकिन अब इसके साथ चार चक्किया ,लड़को के खानदान वालों के लिए #maanyawar का सूट (जो उसके बाप जन्म  का सपना है) से लेकर jockey का innerwear तक बारातियों के लिए भी डिमांड होता है । बाकी डिमांड को हम साइड में रखेंगे चर्चा नही करेंगे उसपर ।

अब बात करते हैं मैथिली ठाकुर कॉन्ट्रोवर्सी पर । दूसरे की उन्नति लोंगो से देखी नही जाती और एक दूसरे का टांग खींचना मिथिला के लोंगो की आदत है । मैथिली ठाकुर अपने व्लोग मे अगर कुछ गलत बोल ही दी तो वो बात इग्नोर किया जा सकता था । चूँकि खुद आगे आकर सही नही कर सकते तो विरोध करना सही बात नही है लेकिन आप तो ठहरे मैथिल आप अच्छा नही कर सकते तो दूसरे को खराब बोलेंगे ही ।

हाँ मानता हूँ उसके मिलियन्स फॉलोवर हैं उसे जो बोलना चाहिए सोच समझ कर बोलना चाहिए क्योंकि वो मिथिला को रिप्रेजेंट कर रही है एक बड़े स्टेज पर लेकिन कुछ मैथिलों का आगे आकर विरोध करना कहीं न कहीं मिथिला को ही खोखला बना रहा है और इस तरह के हरकतों के वजह से ही मिथिलांचल दिन पर दिन खोखला होते जा रहा है ।

दूल्हा बेचने वाला बात अगर आपको इतना ही खराब लग गया तो कीजिये दहेज प्रथा का विरोध लेकिन ऊ त आपसे होगा नही क्योंकि आपको बस चुतियागिरी करना है सबके धंधे में ।आ इतने खराब लग गया ये बात आपको तो जिस शादी में दूल्हा बिक्री के नाम पर लेनदेन चल रहा है उस परिवार को समाज से बायकॉट करिये नही त कल फिर कोई और अपने लेख में आपलोगों को गरियके जाएगा और आप सुनके यही करते रहियेगा । 

धन्यवाद

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